बगलामुखी यज्ञ

बगलामुखी यज्ञ

शुद्ध सात्विक रूप में मां बगलामुखी संसार का कल्याण करने वाली देवी हैं। बगलामुखी माता की पूजा; शक्ति और विजय के लिए की जाती है। पीताम्बरा विद्या के नाम से विख्यात मां बगलामुखी की साधना प्रायः शत्रुभय से मुक्ति और वाकसिद्धि के लिये की जाती है। माता स्वयं पीली आभा से युक्त हैं और इनकी पूजा में पीले रंग का विशेष प्रयोग होता है | बगलामुखी माता को स्तम्भन शक्ति की देवी माना जाता है| इनका यज्ञ दुष्ट व्यक्तियों, आत्माओं और यक्षिणी के प्रभाव को दूर करने में भी लाभकारी है। इस यज्ञ और यज्ञ के पूरा होने के बाद, देवी बगलामुखी अपने भक्तों को जीवन की सभी परेशानियों से लड़ने और सुख और धन से भरपूर जीवन जीने की शक्ति प्रदान करती हैं। भक्त के शत्रु भी नष्ट हो जाते हैं और भक्त के चारों ओर कोई भी बुरी शक्ति नहीं घूमती है।

सृष्टि में यज्ञ एक अनादि महानुष्ठान है। यज्ञ से देवी-देवता, मनुष्य अर्थात संसार के सभी प्राणियों का जनकल्याण होता है। यज्ञ की ऊष्मा मनुष्य के अंतःकरण पर देवत्व की छाप डालती है। जहाँ यज्ञ होते हैं, वह भूमि एवं प्रदेश सुसंस्कारों की छाप अपने अन्दर धारण कर लेता है और वहाँ जाने वालों पर दीर्घकाल तक प्रभाव डालता रहता है। जिन घरों में, जिन स्थानों में यज्ञ होते हैं, वह भी एक प्रकार का तीर्थ बन जाता है और वहाँ जिनका आगमन रहता है, उनकी मनोभूमि उच्च, सुविकसित एवं सुसंस्कृत बनती हैं।

वेलनिक इंडिया द्वारा आयोजित बगलामुखी यज्ञ

वेलनिक इंडिया 2020 में मां बगलामुखी अखंड यज्ञ आरंभ किया गया था, जो की तभी से निरंतर चला आ रहा है | वेलनिक इंडिया द्वारा आयोजित मां बगलामुखी यज्ञ हर रात्रि वेलनिक इंडिया के प्रगंड में होता है, यह यज्ञ की पूर्णाहुति 2025. में होगी | वेलनिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक श्री सुखदेव गेहलोत जी पूरे विधि विधान से बगलामुखी यज्ञ हर रात्रि पूर्ण करते है|

“ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:”

 

वेलनिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की चतुर्थ वर्षगांठ के सुअवसर पर दिनांक रू 05.07.2022 को 11 कुंडीय पुष्पबंगले में बगलामुखी महायज्ञ 111000 आहुतियों के साथ 311 ब्राह्मणों द्वारा संपन्न किया जाएगा एवं मातारानी को स्वर्ण की आहुति दी जायगी |” केक काटकर वर्षगांठ को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा “

Baglamukhi Yagya

 

 

आहुति

यज्ञ करते समय हवन या अग्नि यज्ञ करने की प्रथा है। अग्नि को औपचारिक रूप से जलाया जाता है, अग्नि, अग्नि देव को आमंत्रित करने का प्रतीक है। तत्पश्चात जब मंत्रों का जाप किया जाता है, तो मंत्र के अंत में घी या हवन सामग्री (जड़ी-बूटियों और घी का मिश्रण) के रूप में अर्पण किया जाता है।.

पाठ

धार्मिक ग्रंथो एवं मंत्रो का शुद्धता पूर्वक वाचन एवं उच्चारण करने को पाठ कहा जाता है| हिंदू धर्म में पाठ करना एक जरूरी प्रक्रिया मानी गई है। पाठ से जहां व्यक्ति को आत्मीय सुख और शांति प्राप्ति होती है वहीं इससे भगवान का आशीर्वाद भी मिलता है।.

यज्ञ

मत्स्यपुराण में कहा गया है कि जब पांच आवश्यक घटक - देवता, हवन द्रव्य या प्रसाद, वेद मंत्र, दैवीय नियम और ब्राह्मण को उपहार - होते हैं, तो यह एक यज्ञ है। विश्व कल्याण के लिए किया गया कोई भी शुभ कार्य यज्ञ है।.